Diware Todti Mohabbat - 1 in Hindi Love Stories by ADITYA RAJ RAI books and stories PDF | दीवारें तोड़ती मोहब्बत - 1

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दीवारें तोड़ती मोहब्बत - 1

भाग 1: एक ज़िद, एक घमंड

सर्द हवा का एक झोंका खिड़की के खुले हिस्से से घुसा और अनायरा के करीने से सजे ऑफिस में हल्की-सी हलचल मचा गया। उसने अपने बाल एक कान के पीछे झटकते हुए सामने रखे डिज़ाइन पोर्टफोलियो पर फिर से नज़र डाली। यह सिर्फ़ पोर्टफोलियो नहीं था—यह उसका सपना था। ‘वीर कंस्ट्रक्शन’ का अगला सबसे बड़ा प्रोजेक्ट।

बाहर रिसेप्शन एरिया में दो मिनट से चल रही बहस की आवाज़ अब उसके केबिन तक पहुँच रही थी। अनायरा ने माथे पर बल डाला। शोर उसे बिल्कुल पसंद नहीं था, खासकर तब जब वह इतने महत्वपूर्ण काम पर ध्यान केंद्रित कर रही थी।

उसने इंटरकॉम उठाया और सख्त लहजे में कहा, "मेघना, अगर बाहर कोई परेशानी है, तो उसे तुरंत हल करो।"

मेघना, उसकी असिस्टेंट, घबराई हुई आवाज़ में बोली, "सॉरी मैम… वो मिस्टर वीर हैं। उन्होंने कहा है कि उन्होंने अपॉइंटमेंट नहीं लिया, लेकिन वे अभी आपसे मिलना चाहते हैं।"

अनायरा ने पेन ज़ोर से मेज पर पटक दिया। "उन्हें बताओ कि दुनिया के सबसे बड़े बिज़नेसमैन के लिए भी मेरी कंपनी के कुछ नियम हैं। अपॉइंटमेंट के बिना कोई नहीं मिल सकता।"

इंटरकॉम रखने ही वाली थी कि अचानक केबिन का दरवाज़ा बिना दस्तक के धड़ाम से खुल गया। कमरे के बीचों-बीच खड़ा था—वीर।

वीर, जिसकी कंपनी और घमंड शहर भर में चर्चित थे। परफेक्टली फिटेड ब्लैक सूट, रौबदार कद-काठी, और आँखें… ऐसी आँखें, जो पहली नज़र में ही किसी चीज़ को अपना बनाने की क्षमता जताती थीं।

अनायरा ने अपनी कुर्सी से उठना ज़रूरी नहीं समझा। उसने सीधे उसकी आँखों में देखा। "बोर्ड पर लिखा है, 'कृपया दस्तक दें'। क्या आपके एग्जीक्यूटिव्स ने यह पढ़ना नहीं सीखा, मिस्टर वीर?"

वीर के चेहरे पर हल्की, तिरछी मुस्कान आई—अपमान और मज़ाक का मिश्रण। वह धीरे-धीरे मेज के पास आया और उसके डिज़ाइन पोर्टफोलियो को उठा लिया।

"दस्तक देने की ज़रूरत उन लोगों को पड़ती है, जो चीज़ें मांगते हैं। मैं चीज़ें खरीदता हूँ।" उसने पन्ने पलटे, जैसे कोई रद्दी काग़ज़ देख रहा हो। "आपका काम इतना बुरा भी नहीं है, मिस अनायरा। मेरे हिसाब से, यह मेरे प्रोजेक्ट के लिए 'ठीक-ठाक' रहेगा।"

अनायरा का खून खौल उठा। 'ठीक-ठाक'?—इतनी मेहनत, इतनी रातें और यह सिर्फ़ 'ठीक-ठाक'?

वह झटके से खड़ी हुई। "यह 'ठीक-ठाक' नहीं है, मिस्टर वीर। यह बेहतरीन है। और इसे बेचने के लिए मैं यहाँ नहीं बैठी हूँ। मैं अपनी शर्तों पर काम करती हूँ।"

वीर ने पोर्टफोलियो वापस मेज पर फेंका। "शर्तें? आपकी शर्तें? आप जानती हैं कि मैं कौन हूँ? मैं आपको आपके करियर का सबसे बड़ा ब्रेक दे रहा हूँ।"

"और मैं आपको आपके प्रोजेक्ट के लिए एक कलात्मक पहचान दे रही हूँ, जिसकी आपके पास कमी है," अनायरा ने पलटवार किया। "बातचीत खत्म। आप जा सकते हैं।"

वीर एक पल के लिए हँसा—कठोर, अप्रत्याशित हँसी। उसने थोड़ा झुका, उसकी आँखें अनायरा की आँखों से मिलीं।

"याद रखना, मिस अनायरा," उसकी आवाज़ में चुनौती झलक रही थी, "यह डील आप ही करेंगी। और जब आप करेंगी, तो शर्तें मेरी होंगी। क्योंकि मैं जो चाहता हूँ, उसे पाकर ही रहता हूँ। हर हाल में।"

वह मुड़ा और उतनी ही तेज़ी से कमरे से बाहर चला गया, जितनी तेज़ी से वह अंदर आया था।

अनायरा ने लंबी साँस ली। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था—गुस्से से, या किसी अनजाने डर से—वह नहीं जानती थी। उसने मेज पर पड़े पोर्टफोलियो को देखा। अब उसे पता था कि उसकी ज़िंदगी में एक तूफान आने वाला था, जिसका नाम वीर था। और उस तूफान से लड़ना ही अब उसका सबसे बड़ा ज़िद्दी इरादा बन चुका था।



हम भाग 2 के साथ जारी रखेंगे, जहाँ वीर एक ऐसी शर्त रखता है जो अनायरा को झुका देती है, लेकिन अनायरा भी एक पलटवार करती है।
क्या आप भाग 2 के लिए तैयार हैं?